आवण जावण का संसा मिटजा मिटे भ्रम को खट्को
जामन मरण का संसा मिट्जा सुनाऊ थाने भ्रम ज्ञान को लटको
१ - पहली धारणा करो सेवा की गुरु चरणा में लिपटो ,
मान अभिमान छोड़ सब मन को अभिमान परे पटको ,
२ - दूसरी धारणा करो सत्संग की पीओ प्रेम रस को गुटको ,
पाप कर्म थारा सारा धुपजा फूटे पाप को मटको ,
३ - तीसरी धारणा करो नाम की ज्यू चढ़े बांस पे नटको,
इसी सुरता लावो भजन में होवे काल को झटको,
४ - चोथी धारणा चेतन रहना माया देख ना अटको ,
कहे जीवा दास सुनो भाई साधो परम धाम ने सटको ,
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