हो होशियार रहो गुरु आगे दिल साबत फिर डरना क्या
इस दुनिया में घना रे अँधेरा बार-बार नर फिरना क्या
१ – हित कर खेती धनिया सेती रात दिना नर सोवना क्या ,
आवंगे पक्षी चुग जांगे खेती फिर कर्मा नै रोवना क्या ,
२ – जड़ रे चेतन का खेल मंडा है रंग निरखो इन पंचों का
चेतन के घर आसन लाले भुल भ्रम में रहना क्या ,
३ – कांशी रे पीतल सोना रे चांदी पला मंडा तेरा पारस का ,
गुरुगम पासा हाथ रे लगा है जीती बाजी नर हारना क्या
४ – नो सो नदी नवासी नाले सात समुंद्र गहरा क्या
शुक्ष्म होद भरा घट भीतर जल नदियों का पीवना क्या ,
५ – नाथ गुलाब मिले गुरु पुरे ताला भ्रम वाला तोड़ दिया
भानी नाथ शरण सतगुरु की अमरापुर में वास किया
इस दुनिया में घना रे अँधेरा बार-बार नर फिरना क्या
१ – हित कर खेती धनिया सेती रात दिना नर सोवना क्या ,
आवंगे पक्षी चुग जांगे खेती फिर कर्मा नै रोवना क्या ,
२ – जड़ रे चेतन का खेल मंडा है रंग निरखो इन पंचों का
चेतन के घर आसन लाले भुल भ्रम में रहना क्या ,
३ – कांशी रे पीतल सोना रे चांदी पला मंडा तेरा पारस का ,
गुरुगम पासा हाथ रे लगा है जीती बाजी नर हारना क्या
४ – नो सो नदी नवासी नाले सात समुंद्र गहरा क्या
शुक्ष्म होद भरा घट भीतर जल नदियों का पीवना क्या ,
५ – नाथ गुलाब मिले गुरु पुरे ताला भ्रम वाला तोड़ दिया
भानी नाथ शरण सतगुरु की अमरापुर में वास किया
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