गुरु के चरना लाग्या रहे सोही संत सियाना
१ - तन मन का बेरा नही घट सुध न जाना
मन बैरागी होए रहा नही मिला ठिकाना
२ - ये संसारी खेल है कोई खेल ना जाना
जो खेलो सो धर गया जिन्हें शब्द पिछाना
३ - ये तन तेरा जायेगा धर देख धियाना
निर्मल साधु सोई भया जिन्हें तजा है गुमाना
४ - बाजीगर की पुतली सभी भ्रम भुलाना
घिसा संत न्यू कह रहे कोई संत दीवाना
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