जब गुरु मैहर करेगे कागा से हंस बनादे
१- जब गुरुवा की फिरजा माया पल में काग पलट ज्या काया ,
जब गुरु सिर पै करदे छाया पल में सिखर चढ़ादे ,
२ - कक्वे से कुरड़ी छुट्वा कर मान सरोवर पर ले जा कर ,
तुरंत काग से हंस बना कर मोती अनमोल चुगादे ,
३ - पुत्र प्यारा भोत माँ का उनसे बड़ कर शिष्य गुरुवा का ,
ना बेरा पटे रजा का क्या से क्या बनादे ,
४ - कोड़ी से गुरु हिरा बना दे कंकर से कर लाल दिखादे ,
काशी राम चरण निवादे हुक्म करे पद गादे ,
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