जिसने सत्संग ना भावे वो तो कर्मा का माड़ा
जी
१ - उल्लू को भान कबहू ना भावे
युग तो बीतो चाहे सारा
२ - खर को मिश्री कबहू ना भावे
कुर्डी पर चरता है चारा
३ - क्वे को दाख कबहू ना भावे
खावे तो होवे रोगी भारा
४ - माखी को माखन कबहू ना भावे
पड़ जावे तो होवे जान का गाला
५ - नुगरे को सत्संग कबहू ना भावे शोर करे बड़ा भारा
कहे कबीर सुनो भाई साधो सत्संग से होवे निसतारा
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