भगवान भगत के बस में सदा से होते आये जी
१ - भगत ने डारा फंदा आप बने हर नाई नन्दा
२ - द्रुपत सुता जब दुष्टो ने घेरी राखी लाज
करी ना देरी
सभा में चिर बढाये
३ - दुर्योधन की मेवा त्यागे
भुख लगी जब उठ कर भागे
साग विदुर घर खाए
४ - खम्ब फाड़ प्रहलाद उभारे हिरणाकुश भी स्वर्ग
सिधारे
नरसिह रूप धराये
५ - ध्रुर्व भगत पर किरपा किन्ही भागीरथ को
गंगा दीन्ही
स्वर्ग लोक पहुचाये
६ - साधू बन रावण मारे केश पकड़ कंस पसारे
राज भभीषण पाए
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