रामा रामा रटते -२ बीती रे उमरिया
रघुकुल नंदन कब आवोगे भीलनी की डगरिया
१ - मै भिलनी सबरी की जाई भजन भाव नही जाणु रे
राम तुम्हारे दर्शन के हित बण में जीवन पालु रे
चरण कमल से निर्मल करदो दासी की झुपड़िया
२ - रोज सुबेरे बण में जाकर रस्ता साफ़ करती हु
अपने प्रभु की खातिर बण से चुन चुन के फल लाती हु
मीठे -२ बेरन की भर ली मई छबड़िया
३ - सुंदर श्याम सलोनी सुरत नैनु विच बसाऊ
पद पँकज की रज दर मस्तक चरणों में शिस नवाऊ
प्रभु जी मुजको भुल गये क्या ल्यो दासी की खबरया
४ - नाथ तुम्हारे दर्शन के हित में अबला एक नारी हु
दर्शन बिन दोउ नैना तरसे दिल की बड़ी दुखयारी हु
मुजको दर्शन देवो दयामय डालो मैहर की नजरया
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