Monday, 2 January 2017

रामा रामा रटते -२ बीती रे उमरिया

रामा रामा रटते -२ बीती रे उमरिया
रघुकुल नंदन कब आवोगे भीलनी की डगरिया



१ - मै भिलनी सबरी की जाई भजन भाव नही जाणु रे
      राम तुम्हारे दर्शन के हित बण में जीवन पालु रे
       चरण कमल से निर्मल करदो दासी की झुपड़िया



२ - रोज सुबेरे बण में जाकर रस्ता साफ़ करती हु
       अपने प्रभु की खातिर बण से चुन चुन के फल लाती हु
       मीठे -२ बेरन की भर ली मई छबड़िया


३ - सुंदर श्याम सलोनी सुरत नैनु विच बसाऊ
       पद पँकज की रज दर मस्तक चरणों में शिस नवाऊ
       प्रभु जी मुजको भुल गये क्या ल्यो दासी की खबरया


४ - नाथ तुम्हारे दर्शन के हित में अबला एक नारी हु
       दर्शन बिन दोउ नैना तरसे दिल की बड़ी दुखयारी हु

       मुजको दर्शन देवो दयामय डालो मैहर  की नजरया

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