Tuesday, 3 January 2017

राम बिनु तन को ताप न जाई।


राम बिनु तन को ताप न जाई।
जल में अगन रही अधिकाई॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥

तूने रात गँवायी

तूने रात गँवायी

तूने रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के।
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय॥

नैया पड़ी मंझधार्

नैया पड़ी मंझधार्
नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार्॥

बीत गये दिन

बीत गये दिन

बीत गये दिन भजन बिना रे।
भजन बिना रे  भजन बिना रे॥