सुना हे हमने गुरु अपने का ज्ञान
१ – जल से महीन पवन से झीना न वाके जिव जहान ,
क्या मै वाँ को वर्ण बताऊ लो लागे ना ध्यान ,
२ – समेअष्ट बेअष्ट वांके रंजनी नाही ना वाके पिंड प्राण ,
देखत – २ नैना थक गये सुनते सुनते कान ,
३ – हिन्दू देख वेद नै भूले मुसलमान कुरान ,
दोनु दिन भूल मै लुट्ग्ये पायो न निज नाम ,
४ – खस खस मरगे मेर सुमेरु राही में खलक जहान ,
चोदह लोक का राज निहारु तो भी तरुण समान
५ – जहा सुमेर वहां भय काल न व्यापो पायो पद निरबान ,
कहे कबीर सुनो भाई साधो मिटगया आवण जावण
१ – जल से महीन पवन से झीना न वाके जिव जहान ,
क्या मै वाँ को वर्ण बताऊ लो लागे ना ध्यान ,
२ – समेअष्ट बेअष्ट वांके रंजनी नाही ना वाके पिंड प्राण ,
देखत – २ नैना थक गये सुनते सुनते कान ,
३ – हिन्दू देख वेद नै भूले मुसलमान कुरान ,
दोनु दिन भूल मै लुट्ग्ये पायो न निज नाम ,
४ – खस खस मरगे मेर सुमेरु राही में खलक जहान ,
चोदह लोक का राज निहारु तो भी तरुण समान
५ – जहा सुमेर वहां भय काल न व्यापो पायो पद निरबान ,
कहे कबीर सुनो भाई साधो मिटगया आवण जावण
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