सुनो मेरे रिझाने का सरल रश्ता बताऊ मै
ये कहना साफ गलती है तुमे कैसे रिझाऊ मै
१ – रिझाना जो मुझे चाहे विदुर से पूछ लो रस्ता
सुदामा की झपट गठरी खड़ा चावल चबाऊ मै ,
२ – रिझाया था मुझे भीलनी ने झूठे चार बेरो से ,
ना झूठे खटे-मिठो पर कभी आखे लुभाऊ मै
३ – ना रिझु फूल और फल से ना गंगा जी के भी जल से ,
ह्रदये में भेद है जब तक कहो कैसे समाऊ मै ,
४ – ना रिझुं गान गपो से ना रिझु तान तपो से ,
बहा दो प्रेम के आंशु चला बस आप आऊ मै
५ – ना पथर सा मुझे समझो नरम हूँ मोम से बढ़ कर
प्रेम वायु जो छोड़ोगे पिंघल बस आप जाऊ मै
६ – ना मन में सुद्ता होवे ना ह्रदय में प्रेम है जब तक
कहे भगवन सुनो तुलसी किस भांति पाऊ मै
ये कहना साफ गलती है तुमे कैसे रिझाऊ मै
१ – रिझाना जो मुझे चाहे विदुर से पूछ लो रस्ता
सुदामा की झपट गठरी खड़ा चावल चबाऊ मै ,
२ – रिझाया था मुझे भीलनी ने झूठे चार बेरो से ,
ना झूठे खटे-मिठो पर कभी आखे लुभाऊ मै
३ – ना रिझु फूल और फल से ना गंगा जी के भी जल से ,
ह्रदये में भेद है जब तक कहो कैसे समाऊ मै ,
४ – ना रिझुं गान गपो से ना रिझु तान तपो से ,
बहा दो प्रेम के आंशु चला बस आप आऊ मै
५ – ना पथर सा मुझे समझो नरम हूँ मोम से बढ़ कर
प्रेम वायु जो छोड़ोगे पिंघल बस आप जाऊ मै
६ – ना मन में सुद्ता होवे ना ह्रदय में प्रेम है जब तक
कहे भगवन सुनो तुलसी किस भांति पाऊ मै
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