मैंने मानुष जन्म तुजको हिरा दिया अगर तु वृथ्था गवाए तो मै क्या करू
रहता हूँ मै सदा तेरे पास रे तु नही जान पाए तो मै क्या करू
१ - मैंने खाने को अन्न दूध पैदा किया मेवा और मिष्ठान भी मैंने पैदा किया
फिर भी हे निर्दयी जिब के स्वाद पर अगर तु मांस खाए तो मै क्या करू
२ - दिन दुखियो को दिल से दुखाने लगा रात दिन पाप में मन लगाने लगा
तुने जैसा किया वैसा पाने लगा अब आँसू भहाए तो मै क्या करू ,
३ - नाम मेरा लेने से तेरे पाप भी काटदे पाप करने से जो तु मन को ठाटले
मै कहता हूँ तु आजा मेरी शरण मे अगर तु नही आये तो मै क्या करूं ,
४ - छोड़ कर आजा मेरी शरण सहज में कट जावे तेरा अवागमन ,
सतगुरु का तु अगर नही माने वचन यूँ ही चकर लगावे तो मै क्या करूं
रहता हूँ मै सदा तेरे पास रे तु नही जान पाए तो मै क्या करू
१ - मैंने खाने को अन्न दूध पैदा किया मेवा और मिष्ठान भी मैंने पैदा किया
फिर भी हे निर्दयी जिब के स्वाद पर अगर तु मांस खाए तो मै क्या करू
२ - दिन दुखियो को दिल से दुखाने लगा रात दिन पाप में मन लगाने लगा
तुने जैसा किया वैसा पाने लगा अब आँसू भहाए तो मै क्या करू ,
३ - नाम मेरा लेने से तेरे पाप भी काटदे पाप करने से जो तु मन को ठाटले
मै कहता हूँ तु आजा मेरी शरण मे अगर तु नही आये तो मै क्या करूं ,
४ - छोड़ कर आजा मेरी शरण सहज में कट जावे तेरा अवागमन ,
सतगुरु का तु अगर नही माने वचन यूँ ही चकर लगावे तो मै क्या करूं
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