दागी वही लगा रहे दाग को हम सदा से बेदागी हैं
१ - रंदे हुए को हम नही रांधे न शास्त्र से खीगे साधें
अपने सर पे हम नही बांदे
इस बेशर्मी की पाग को इस पाग से बैपागी हैं
२ - कर्म करे न अकरम खेते पुन: पाप में पग नही देते
लोग दिखावा हम नही लेते इस दुनिया
के त्याग को इस त्याग से बेत्यागी हैं
३ - न्यारे जग से होए चुके हैं दाग जिगर के धोए चुके हैं
अब हम सारी खोये चुके हैं इस जन्म
मरण की लाग को इस लाग से बैलागी हैं
४ - मूल मन्त्र के हम माते है निस दिन प्रेम नदी नहाते है
सम्भु दास हम नही गाते हैं इस मिथ्या फजूल राग को
इस राग से बैरागी है
१ - रंदे हुए को हम नही रांधे न शास्त्र से खीगे साधें
अपने सर पे हम नही बांदे
इस बेशर्मी की पाग को इस पाग से बैपागी हैं
२ - कर्म करे न अकरम खेते पुन: पाप में पग नही देते
लोग दिखावा हम नही लेते इस दुनिया
के त्याग को इस त्याग से बेत्यागी हैं
३ - न्यारे जग से होए चुके हैं दाग जिगर के धोए चुके हैं
अब हम सारी खोये चुके हैं इस जन्म
मरण की लाग को इस लाग से बैलागी हैं
४ - मूल मन्त्र के हम माते है निस दिन प्रेम नदी नहाते है
सम्भु दास हम नही गाते हैं इस मिथ्या फजूल राग को
इस राग से बैरागी है
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