हम तो उन भक्तो के हैं दास जिन्होंने मनवा मार लिया
१ - मन मारा तन वश किया सभी भ्रम भये दूर ,
बाहर तो कुछ दिखे नाही अंदर झलके नूर ,
२ - आपा मार जगत मे बैठे नही किसी से काम ,
उनमे तो कुछ अंतर नाही संत कहो चाहे राम ,
३ - प्याला पी लिया नाम का जी छोड़ा जगत का मोह
जिनको सतगुरु मिल गये पुरे सहज मुक्ति गयी होई ,
४ - नरसी जी के सतगुरु स्वामी दिया अमिरश प्याये ,
एक बूंद सागर में मिल गयी क्या ही करे यमराज
१ - मन मारा तन वश किया सभी भ्रम भये दूर ,
बाहर तो कुछ दिखे नाही अंदर झलके नूर ,
२ - आपा मार जगत मे बैठे नही किसी से काम ,
उनमे तो कुछ अंतर नाही संत कहो चाहे राम ,
३ - प्याला पी लिया नाम का जी छोड़ा जगत का मोह
जिनको सतगुरु मिल गये पुरे सहज मुक्ति गयी होई ,
४ - नरसी जी के सतगुरु स्वामी दिया अमिरश प्याये ,
एक बूंद सागर में मिल गयी क्या ही करे यमराज
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