हे दिन दयाल स्वामी सतगुरु श्री सुरजभान जी मेरे
तेरी दया पर निर्भर काटो जाल फंद मेरे
१ – दिया मानुष जन्म मुझको मै बन्दगी करूं तेरी ,
पर नाथ मनवा चंचल बना विषयों का पुजारी ,
इससे उभारो मुझको सामर्थ स्वामी मेरे ,
२ – जैसे पवन नाव को हर के ले जावे कुमार्ग
मनवा हर लेवे सुरत को चले जब से सुमार्ग ,
सेवक अधीर तेरा धीरज बंधाओ स्वामी मेरे ,
३ – एसी है दुष्तर माया जिसने सारा जग भरमाया ,
कैसे भजुं मै तुजको रो रो भाहाऊ अंखिया ,
दे दो अखंड दर्शन दिना नाथ स्वामी मेरे ,
४ – सतगुरु श्री सुरजभान जी आये ,
म्हाने ज्ञान बालद लाये मंगलराम जी सर्व आनंद पाए
सेवक महिमा गांवे हम को भी साथ ले लो पड़ा दिन द्वार तेरे ,
तेरी दया पर निर्भर काटो जाल फंद मेरे
१ – दिया मानुष जन्म मुझको मै बन्दगी करूं तेरी ,
पर नाथ मनवा चंचल बना विषयों का पुजारी ,
इससे उभारो मुझको सामर्थ स्वामी मेरे ,
२ – जैसे पवन नाव को हर के ले जावे कुमार्ग
मनवा हर लेवे सुरत को चले जब से सुमार्ग ,
सेवक अधीर तेरा धीरज बंधाओ स्वामी मेरे ,
३ – एसी है दुष्तर माया जिसने सारा जग भरमाया ,
कैसे भजुं मै तुजको रो रो भाहाऊ अंखिया ,
दे दो अखंड दर्शन दिना नाथ स्वामी मेरे ,
४ – सतगुरु श्री सुरजभान जी आये ,
म्हाने ज्ञान बालद लाये मंगलराम जी सर्व आनंद पाए
सेवक महिमा गांवे हम को भी साथ ले लो पड़ा दिन द्वार तेरे ,
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