सुगरे
की साधो यही है पहचान
१ - दृढ़ विश्वास धर के मन में गुरु की शरण
में जाता है
रहता है जी उसी ध्यान में जो सुनता आत्म ज्ञान
२ - संसा हो जो मन के अंदर गुरु कृपा से मिट
जाता है
आशा नही अमर पद पाऊ निर्भय संत सुजान
३ - सर्वव्यापी अविनासी अगोचर ध्यान उसी में
रखता है
में वो चेतन अनंत अनादी श्री कृष्ण भगवान
४ - मंगल राम महाराज गुरु जी शब्द सार समझाते
है
दया दृष्टी करो म्हारे स्वामी हम बालक नादान
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