शरण सतगुरु जी हम तेरी-२ महिमा निराली है
१ – तेरे चरणों में हे भगवन हम कुर्बान हैं स्वामी ,
तुम सब के विधाता हो तुम इस बाग के माली ,
२ – छुड़ाया तीन तापो से तुम्ही पित-मात और भ्राता ,
दया तेरी के बिन भगवन नही वश्तु कोई खाली ,
३ – संगत से हो गयी प्रीति तेरा सत नाम लेने से
करो तुम मेहर की दृष्टि खड़ा दर पे सवाली है
४ – भजन मंगल राम जी गावे श्री सतगुरु सूरजभान समझावें
करो तुम प्रेम से सत्संग रहो हर हाल खुशहाली ,
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