संकट में साधो हिरनी हरे राम पुकारी
१ - जब हिरनी के कष्ट होयो होई डार से न्यारी ,
आधा बच्चा बाहर गर्भ से गेल होयो फन्दकारी ,
२ - एक तरफ न अग्नि जला दी एक तरफ न जाली ,
एक तरफ न कुतिया भैठ गयी एक तरफ न फन्दकारी ,
३ - उगम दिशा से उठी बादली अग्नि भुजा दी सारी
पिरवा पिछवा पवन चला के तोड़ बगा दी जाली
४ - बोझे में तै सुसिया निकली गेल हुई कुतयारी
बोम्बी में से सर्प निकल कर काट खायो फन्दकारी
५ - हिरनी नाचे हिरनी कुदे हिरनी खुशी मनाई
कहे कबीर सुनो भाई साधो साहेब की गत न्यारी
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