आनंद के खुले खजाने म्हारे सतगुरु के दरबार में,
क्या खाख छानता पगले इस दुनिया के बाजार में,
१ – धन में सुख देखने वाले धन वालों से पूछ लो,
वे भी यूँ कहते है हम सुखी नही संसार में,
२ – कोठी बंगले और कारों की कमी नही संसार में,
वे भी यूँ कहते है हम सुखी नही संसार में,
३ – चाचा ताऊ कुटम्ब कबीला इतने बड़े परिवार में,
ये देखें रोज कचेहरी भाई आपस की तकरार में,
४ – ना सुख ग्रहस्त में ना सुख बण मे जाएके,
सुख है आत्म विचार में,
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