सतगुरु स्वामी अंतरयामी घट की जाणन हारे ने
अनेक रूप धर जग में आये दुबे बेड़े तारे ने
१ - सुभ दिन गुरु पुजा का आया गुरु की पुजा करिये जी
गुरु चरणों में चातक होकर गुरु का पाणी भरिये जी
राम लक्ष्मण गुरु चरणों को प्रेम से चापन हारे ने
२ - नारद और सुखदेव जनक जी गुरु की आज्ञा मानी जी
मान अपमान का त्याग किया फिर सोचा लाभ न हानि जी
जिसने पाया गुरु से पाया कहते ग्रन्थ ये सारे ने
३ - घट की रचना घट के दर्शन गुरु बिन कोण करावे जी
ये मनवा दशो दिशी भटके गुरु बिन कोण ठहरावे जी
पांच पचीसो बस में आवे ये दुश्मन जो मारे ने
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