राम बिनु तन को ताप न जाई।
जल में अगन रही अधिकाई॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥
भजो रे भैया भजो रे भैया राम गोविंद हरी।
बहुरि नहिं आवना या देस॥ टेक॥ जो जो ग बहुरि नहि आ पठवत नाहिं सॅंस॥ १॥ सुर नर मुनि अरु पीर औलिया देवी देव गनेस॥ २॥
झीनी झीनी बीनी चदरिया॥ टेक॥ काहे कै ताना काहे कै भरनी कौन तार से बीनी चदरिया॥ १॥